Thursday, March 6, 2014

थैंक्यू मरजीना’’



कविता में कविता की वापसी का उद्घोष है रतीनाथ योगेश्वर का काव्य संग्रह ‘’थैंक्यू मरजीना’’

समकालीन कविता के परिदृश्य में ‘थैंक्यू मरजीना’ एक ऐसा संग्रह है जिसे जितनी बार पढ़ा जाए उतने ही नये अर्थ और भाव सामने आते जायेंगे ! जिंदगी की उतार चढाव को कलम की नोक पर रखकर रतीनाथ जी ऐसी कवितायेँ रचते हैं जिसे आप एक बार पढना शुरु करेंगे तो तब तक नही रखना चाहेंगे जब तक संग्रह की कवितायेँ ख़त्म न हो जाए ! इनकी कविताओं को पढ़ते हुए इंसान एक बारगी खुद ही उसका किरदार हो उठता है, इनके शब्द हथौड़े की चोट की भांति मन मस्तिक में गूंजने लगते हैं! आपकी कलम से निकली सभी कवितायें एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं, जहाँ आपको लगेगा सब कुछ आपका अपना है आप से संवाद करता हुआ! आत्महीनता और अवसाद के लम्बे अँधेरे रास्तों से निकल कर उद्दाम वेग से बह निकली इन कविताओं का स्वर निश्चित तौर से मानवीय चेतना के ताप में पगी भाव जगत की गहराइयाँ में मुखर होता है! कथ्य के अनंत विस्तार और निखरते संवरते हुये शिल्प के जरिये कवि रतीनाथ योगेश्वर की बहुत सारी कवितायेँ स्त्री विमर्श को इंगित करती हैं ! इनकी कविताओं के बीच जाकर इनके भीतर के उथल-पुथल को महसूस किया जा सकता है इनकी कर्मठ लेखनी की भावात्मक अभिव्यक्ति विशेषतः हिंदी भाषी समाज के लिए बहुमूल्य है ,क्यूंकि इनकी कवितायेँ केवल भावुक उदगार नही बल्कि विचार पुष्ट भावाभिव्यक्तियां है जिनमें जनपक्षधरता का उद्घोष साफ़ तौर से सुना जा सकता है जीवन संघर्षों और चुनौतियों को किस तरह रचता है कवि, कुछ पंक्तिया बानगी के तौर पर:--

‘’सुबह होने से पहले ही
फिर कमीज आ जाती है बदन पर
जलने लगता है / लैंप से निकाला तेल स्टोव में
जुराबें, रात की दुर्गन्ध लिए/चढ़ जाती हैं पांव में
जुराबों पर चढ़ दौड़ते हैं जूते
जूते दबाने लगते हैं पैंडल ...
आँतों में केवल चाय हिल रही है’’ (रौशनी के वृत्त)

प्रतीकात्मक बिम्बों से सजी आपकी कवितायेँ सरल शब्दों के साथ बहती हुयी किसी सांगीतिक लय सी जान पड़ती है...
वे बच्चों से भी उम्मीद लगाते हैं..
‘’बच्चों हमें पकड़ो
हम सेमल के रुंये की तरह उड़े जा रहे हैं /
बच्चो हमें मिटटी की रोटी बनाना और
बिना आग के चूल्हे में भी /फूंक मारना सिखाओ '' (उम्मीद)... ......वसुन्धरा पाण्डेय



काव्य संग्रह ''थैंक्यू मरजीना ''

कवि- रतीनाथ योगेश्वर

प्रकाशक -साहित्य भण्डार,50 चाहचन्द जीरो रोड इलाहाबाद

मूल्य - 200/---रुपये (सजिल्द )

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